चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टिवल और सिक्सटीन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स का समापन शनिवार को हुआ, तीन दिन में लगभग 46 हजार बच्चों ने देखी फ़िल्में

जयपुर। तीन दिन तक आर्यन रोज फाउंडेशन और जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल - जिफ  की और से आयोजित 6th आर्यन इंटरनेशनल चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ जयपुर और सिक्सटीन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स का समापन शनिवार को हो हुआ. तीन दिन में 22 देशों की 62 फ़िल्में जयपुर की 11 स्कूल्स में लगभग 18 स्कूल्स के लगभग 46 हजार बच्चों ने फ़िल्में देखी। 

फेस्टीवल के आखिरी दिन रोचक सवाल जवाबों का दौर भी चला. स्टूडेंट्स को ये अवसर दिया राजस्थान सरकार की पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमीं ने. अकदामी की तरफ से स्कूल में विद्यार्थियों से फिल्मों और जनरल नॉलेज से जुड़े सवाल पूछे गए. सही जवाब देने वाले विद्यार्थी को प्रमाण पत्र और एक पुस्तक उपहार के रूप में दी गयी. ये आयोजन जिफ के संयुक्त तत्त्वाधान में सम्पन हुआ।

ज्ञान आश्रम स्कूल में इस फिल्म उत्सव में सैंड ड्यून्स पब्लिक स्कूल,  ज्ञान आश्रम स्कूल और अनेक प्रसिद्ध विद्यालयों के बच्चों ने अनेक फिल्मों का आनंद लिया। उनमें से कुछ अध्यापकों में बच्चों ने अपने बहुमूल्य विचार साझा किया  है-

"मुझे टीटू अंबानी फिल्म काफी अच्छी लगी मुझे इससे संदेश मिला कि हमें कभी भी सपने देखने नहीं छोड़ते चाहिए यह वर्तमान मुद्दों पर बनी बहुत अच्छी फिल्म है।" - एक अध्यापक

"मुझे फिल्म की कहानी बहुत अच्छी लगी"- एक विद्यार्थी

"फिल्म की कहानी व अभिनेताओं द्वारा किया गया अभिनय एवम् अलग अंदाज से समस्या का प्रदर्शन प्रशंसनीय था।"-एक अध्यापक

"आजकल ऐसे मुद्दों पर फिल्म कम ही देखने को मिलती है । फिल्म देखकर बहुत आनंद आया।" - एक विद्यार्थी

वाह... फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेना ज्ञानवर्धक था।

शानदार फिल्मों को देखने का मौका रामबाग स्थित सुबोध पब्लिक स्कूल के छात्रों को मिला। इसने अन्य देशों के बीच ज्ञान, सूचना, अवधारणाओं और सांस्कृतिक प्रथाओं के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की। इन फ़िल्मों की स्क्रीनिंग का एक विशिष्ट लक्ष्य था: पहला, मनोरंजन करना; दूसरा, संदेश देना और जागरूकता बढ़ाना; तीसरा, दर्शकों की जिज्ञासा को उत्तेजित करना और प्रश्न पूछना; और चौथा, छात्रों को ऐसी फिल्मों से परिचित कराना जो आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा दे सकें। इसकी बदौलत छात्र परीक्षा के दबाव से निपटने में सक्षम हुए; उन्हें सहजता महसूस हुई, उनका उत्साह बढ़ा और वे वास्तव में प्रेरित हुए। कुछ फ़िल्में ऐसी थीं जिन्होंने सचमुच उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। कोर्विन, ब्लू टेडी बियर, कान्हाजी, बेबीज़ एंड द बियर - समर, चाइल्डहुड, दादू, वॉटर एंड फायर, टू वर्ल्ड्स और डकेट कुछ उत्कृष्ट फिल्में थीं। ये फ़िल्में योग, ध्यान और मानसिक शांति को लोकप्रिय बनाने में प्रभावशाली थीं। प्रिंसिपल श्रीमती कमलजीत यादव, शिक्षक और छात्र ऐसी विचारोत्तेजक फिल्मों के लिए सुबोध परिसर को चुनने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।

यह अद्भुत अनुभव था. हमारे स्कूल परिसर के निर्मला सभागार में बच्चों को विभिन्न विषयों पर विभिन्न फिल्में दिखाई गईं। छात्रों ने जीवन के विभिन्न चरणों का अनुभव किया और फिल्में उन्हें दिलचस्प तरीकों से सीखने का बहुत अच्छा तरीका थीं। - नरेंद्र रावत, डायरेक्टर

मयूर स्कूल में कक्षा I-III के छात्र फिल्म 'कॉर्विन'देखकर बहुत खुश हुए, जिसमें वास्तविकता की चुनौतियों से जूझते हुए अपने सपनों को पूरा करने वाले एक बच्चे की यात्रा को दर्शाया गया है। फिल्म सहायक माता-पिता के महत्व पर प्रकाश डालती है जो अपने बच्चे के जुनून को क्षणभंगुर हितों के रूप में खारिज करने के बजाय उनका पोषण करते हैं, युवा दर्शकों के लिए दृढ़ता और प्रोत्साहन के मूल्यवान सबक प्रदर्शित करते हैं।

लेखिका मंडी धाधिच माथुर की विजेता पुस्तक -'मेरी सखी सुनीता' पर आधारित 'कान्हाजी' फिल्म चौथी से सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों को दिखाई गई। यह कहानी इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है कि कैसे भेदभाव हमारे समाज में दूरगामी प्रभावों वाली एक महत्वपूर्ण समस्या है। विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बाद भी इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। छात्रों ने सीखा कि कैसे बाल श्रम, बाल विवाह और जाति, पंथ, रंग और धर्म के आधार पर भेदभाव एक गंभीर मुद्दा है जिसका गहरा प्रभाव पड़ता है।

मोमो इन दुबई के डायरेक्टर अमीन असलम ने फिल्म दिखाने के बाद सुबोध पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए कहा की इस फिल्म की कहानी मेरे बेटे से प्रेरित होकर इसमें खुद मैंने मेरी जिंदगी के कुछ पहलू जोड़े हैं. ये ही इस फिल्म की कहानी है. मुझे जयपुर उससे भी ज्यादा अच्छा लगा जिसकी कल्पना मैंने की थी या पढ़ा था। 

फाउंडर हनु रोज ने बताया की आर्यन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ जयपुर मेरे छोटे बेटे आर्यन रोज की याद में आयोजित किया जाता है. 2018 में श्याम नगर में घर के गेट के बहार खड़े 5 वर्षीय आर्यन की मृत्यु एक कार की टक्कर से हो गयी थी. केस आज भी कोर्ट  है. मुझे लगा आर्यन के नाम से कुछ जरूर किया जाना चाहिए. इस तरह से इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ जयपुर  को मैंने आर्यन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ जयपुर के रूप में निशुल्क स्कूल के बच्चों के लिए डिजाइन किया। अभी 46 हजार तक बच्चे फ़िल्में देख रहे हैं। अगले साल से इसे जयपुर से राजस्थान और फिर पुरे भारत के बच्चों के लिए फैलाना है। हर साल लगभग 5 करोड़ बच्चों को बेहतरीन फ़िल्में दिखाने का लक्ष्य है। मैं आज  एक आर्यन के लिए नहीं हजारों आर्यन के लिए काम कर रहा हूँ। 

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