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शिक्षा और चिकित्सा को व्यवसायिकता से दूर रखें विधान सभा में बना इतिहास, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अमृत वचनों से सत्ता और विपक्ष हुए सराबोर

मध्यप्रदेश विधानसभा का प्रागंण आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अमृत वचनों से सराबोर हो गया। सत्ता और विपक्ष के प्रतिनिधियों ने संत वाणी का अमृतपान किया। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष श्री सीताशरण शर्मा और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के विशेष आमंत्रण पर विद्यासागर जी महाराज अपने 38 मुनि के आध्यात्मिक मंत्रीमंडल के साथ दिव्य देशना कार्यक्रम में विधानसभा पधारे थे। महाराज जी राजधानी भोपाल में चार्तुमास प्रवास पर हैं। विधानसभा अध्यक्ष श्री सीता शरण शर्मा, विधानसभा उपाध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंह और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, उपनेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन, वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया, लोक निर्माण मंत्री श्री रामपाल सिंह और मंत्रीमंडल के सदस्यों ने मुनिश्री की अगवानी की। विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री ने संतों का श्रीफल से स्वागत किया और उनसे संत वाणी सुनाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ज्ञान के प्रकाश से सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों को जनता की बेहतर सेवा की प्रेरणा मिलेगी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। आचार्य

GATHJOD

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सिद्धवर कूट पर हुई आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज के चातुर्मास की स्थापना , मनाई गई गुरु पूर्णिमा तथा वीर शासन जयंती

सिद्धक्षेत्र सिद्धवर कूट भारत वसुन्धरा की ह्रदय स्थली पर विराजमान मध्य प्रदेश प्रांत, जो अपने अंदर सताधिक तीर्थ क्षेत्र,अतिशय क्षेत्र और सिद्ध क्षेत्रों का पुण्य संजोये है, उसके पश्चिम में स्थित निमाड़ जहां धर्म की ब्यार हर समय बहती है और  जिसे वर्तमान के वर्द्धमान आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को जन्म देने का गौरव प्राप्त हुवा है, ऐसे निमाड़ प्रांत को इस वर्ष आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज की अक्षुण्ण परम्परा के पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ससंघ के निमाड़ में प्रथम तथा 48वें वर्षायोग सम्पन्न कराने का गौरव प्राप्त हो रहा है।   निमाड़ की इसी पावन भूमि पर  स्थित है अति मनोहारी सिद्धक्षेत्र सिद्धवर कूट, जिसे मानों देवताओं ने सिद्ध पद के पथिकों की साधना स्थली बनाने हेतु स्वयं अपने हाथों से ही बसाया हो और इसीलिए इसका नाम उन्होंने रखा "सिद्धवर कूट"। जिसकी सुरम्यता रमणीयता और वैभव को देखकर लगता है कि इस भूमि से मोक्ष पधारे 2 चक्रवर्ती के वैभव और 10 कामदेव के सौंदर्य का कुछ अंश इस भूमि ने अपने अंदर में धारण कर लिया हो तथा साथ ही साथ साढ़े तीन करोड़ मुनियो

आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज का वर्ष 2016 का चातुर्मास होगा सिद्धवर कूट में

भारत के मध्य में स्थित मध्यप्रदेश के पश्चिम में एक तरफ विंध्य पर्वत और दूसरी तरफ सतपुड़ा की पहाड़ियों के मध्य में बहती है विश्व की प्राचीनतम नदियों में से एक नदी नर्मदा जिसका उद्भव और विकास निमाड़ में ही हुआ।निमाड़ प्रान्त जिसका सांस्कृतिक इतिहास अत्यन्त समृद्ध और गौरवशाली है और जहां धर्म की ब्यार हर समय बहती है। ऐसे निमाड़ की पावन भूमि जिसे वर्तमान के वर्द्धमान आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को जन्म देने का गौरव प्राप्त हुवा है, को इस वर्ष आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज की अक्षुण्ण परम्परा के पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ससंघ के निमाड़ में प्रथम तथा 48वें वर्षायोग सम्पन्न कराने का गौरव प्राप्त होगा।      निमाड़ की भूमि को अपनी पद रज से पवित्र करने वाले पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का निमाड़ के अति मनोहारी सिद्धक्षेत्र सिद्धवर कूट पर पहला एवम् अपने संयमित जीवन का 48 वा वर्षायोग 18 जुलाई 2016 को स्थापित होगा। निमाड़ प्रांत के सनावद में सन 1950 में जन्मे श्री यशवंत कुमार की सन 1969 में महावीरजी अतिशय क्षेत्र पर भोले बाबा के नाम से प

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की दूरदर्शी सोच से राजस्थान पा रहा सुनहरे आयाम

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सदियों से पानी की समस्या से जूझ रही मरुधरा राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है जब बारिश का इतना बेसब्री से इंतजार हो रहा है जैसा पहले कभी नहीं रहा। अबकि बार पूरा का पूरा राजस्थान जैसे उठ खड़ा हुआ है वर्षाऋतु की जोरदार अगवानी में। हर तरफ उल्लास का माहौल पसरा हुआ है। पूरे उत्साह और उमंग के साथ राजस्थान प्रदेशवासी उत्सुक हैं बारिश के स्वागत में। प्रदेश का कोना-कोना इस बार पावस से खुशहाली पाने के स्वप्नों में रमा हुआ है। जन समुदाय अब अहर्निश इसी तीव्रतर प्रतीक्षा में है कि बारिश कब हो, और अर्से से प्यासी धरा सरसब्ज हो। बात मैदानी हिस्सों की हो, रेगिस्तानी इलाकों की, या फिर पहाड़ी क्षेत्रों की। राजस्थान भर की सरजमीं पूरे उत्साह से आतुर है पानी भरे बादलों से आलिंगन को।  राजस्थान रच रहा अपूर्व इतिहास  नदी-नालों, झील-तालाबों से लेकर कूओं-बावड़ियों और तमाम नए-पुराने जलाशयों का उछाह भी कोई कम नहीं। उछाले मारती यह आतुरता, उत्साह और उमंग हो भी क्यों न, इस बार राजस्थान ऎसा अपूर्व स्वर्णिम इतिहास रचने जा रहा है जो सदियों तक पानी की आत्मनिर्भरता का पैगाम गूंजाता रहेगा। प्रदेश सरकार की ओर से राजस्था