आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज का वर्ष 2016 का चातुर्मास होगा सिद्धवर कूट में


भारत के मध्य में स्थित मध्यप्रदेश के पश्चिम में एक तरफ विंध्य पर्वत और दूसरी तरफ सतपुड़ा की पहाड़ियों के मध्य में बहती है विश्व की प्राचीनतम नदियों में से एक नदी नर्मदा जिसका उद्भव और विकास निमाड़ में ही हुआ।निमाड़ प्रान्त जिसका सांस्कृतिक इतिहास अत्यन्त समृद्ध और गौरवशाली है और जहां धर्म की ब्यार हर समय बहती है।
ऐसे निमाड़ की पावन भूमि जिसे वर्तमान के वर्द्धमान आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को जन्म देने का गौरव प्राप्त हुवा है, को इस वर्ष आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज की अक्षुण्ण परम्परा के पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ससंघ के निमाड़ में प्रथम तथा 48वें वर्षायोग सम्पन्न कराने का गौरव प्राप्त होगा।  
   निमाड़ की भूमि को अपनी पद रज से पवित्र करने वाले पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का निमाड़ के अति मनोहारी सिद्धक्षेत्र सिद्धवर कूट पर पहला एवम् अपने संयमित जीवन का 48 वा वर्षायोग 18 जुलाई 2016 को स्थापित होगा।
निमाड़ प्रांत के सनावद में सन 1950 में जन्मे श्री यशवंत कुमार की सन 1969 में महावीरजी अतिशय क्षेत्र पर भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध धर्म शिरोमणि आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज के कर कमलों से मुनि दीक्षा हुई और सन 1990 में चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजित सागर जी महाराज के उत्तराधिकारी के रूप में पञ्चम पट्टाचार्य नियुक्त हुए।
36 मूलगुणो के धारी आचार्य श्री का 36 साधुओं के विशाल संघ सहित 2 जुलाई 2016 को सिद्धों के दरबार सिद्धवरकूट में मंगल प्रवेश हुआ और 5 एवम् 6 जुलाई को 27 वां आचार्य  पदारोहण दिवस मनाया गया।
संघस्थ बाल ब्रह्मचारिणी सिद्धा दीदी से प्राप्त जानकारी के अनुसार महामना आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज की अक्षुण्ण परम्परा के ध्वजवाहक पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने 23 मुनि 01 ऐलक 24 आर्यिका 12 क्षुल्लक  तथा 09  क्षुल्लिका इस प्रकार कुल 69 दीक्षाये प्रदान कर भव्यों के मोक्ष मार्ग को प्रशस्त किया है। देश भर के श्रावकों पर  वात्सल्य की बौछार करने वाले आचार्य श्री ने भारत के विभिन्न प्रांतों मे 46 पंचकल्याणक प्रतिष्ठायें करवा कर समस्त प्राणी जनों पर अनुकंपा की है। आचार्य श्री के सानिध्य तथा निर्यापकत्व में 41 साधुओ श्रावको की समाधियां सम्पन हुई है ।
निमाड़ के साथ साथ समस्त भारत वर्ष के लिए यह अत्यंत गौरव की बात है कि आचार्य श्री वर्ष 1993 तथा वर्ष 2006 में श्रवणबेलगोला में 12 वर्षीय महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम को सान्निध्य प्रदान करने के पश्चात् अब 2018 में होने वाले मस्तकाभिषेक में तीसरी बार ससंध मार्गदर्शन एवम् सानिध्य प्रदान करेंगे।  यहाँ यह भी  उल्लेखनीय है कि आचार्य श्री का  मध्यप्रदेश में वर्ष 2012 में पपौरा जी, 2013 में कुण्डलपुर में चातुर्मास सम्पन्न हो चूका है तथा 2016 में सिद्धवरकूट में वर्षायोग होने जा रहा है।
सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट कमेटी तथा समस्त निमाड़ मालवा जैन समाज सभी समाज जनो से अनुरोध करती है कि आप अधिक से अधिक संख्या में धार्मिक कार्यक्रम में सम्मलित होकर धर्म लाभ लेवें और अपने पुण्य को वर्द्धमान करें।

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