पुस्तक पर्व आयोजित, रास बिहारी गौड़ की कृतियों पर चर्चा, गांव चौपाल से लेकर वैश्विक पूंजीवाद के हलफनामा
जयपुर। दी लिटरेचर सोसाइटी ऑफ इंडिया -जयपुर चेप्टर के तत्वावधान में आयोजित पुस्तक पर्व में चर्चित कवि-लेखक रास बिहारी गौड़ का उपन्यास "आवाजों के छायादार चेहरे" एवं औपन्यासिक नाटक "गांधी जिंदा हैं" पर साहित्यिक चर्चा हुई । पुस्तक का परिचय देते हुए रास बिहारी गौड़ ने बताया कि इसी वर्ष सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास "आवाजों के चेहरे" उनके अपने समय को सवेदनाओं की जुबान में दर्ज करवाता है एवं उपन्यास के पृष्ठों पर पाठक का चेहरा भी साफ साफ नजर आता है। उनकी दूसरी "न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली से प्रकाशित औपन्यासिक नाटक "गांधी जिंदा है" की विषयवस्तु पर बोलते हुए लेखक ने कहा इस नाटक के माध्यम से गांधी से जुड़े प्रश्न, आशंकाएं, अफवाहों के तथ्यात्मक एवं तार्किक उत्तर नाटक में मौजूद हैं । अलग-अलग खंडों में विभाजित उक्त नाटक कथा, व्यंग्य एवं कविता के सयुंक्त शिल्प में गढ़ा गया है। उपन्यास "आवाजों के छायादार चेहरे" की समालोचना करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा कि इस उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता कथा एवं कविता को मानवीय करुणा ए...