आज लोग पुरुषार्थ नहीं करना चाहते हैं और वे आलस के कारण ताजा घर में बना खाने की जगह पैकिंग फूड ले रहे हैं जिसके कारण वे खुद तो बीमार पड़ रहे हैं, साथ में 2-2 साल के बच्चे को शुगर आदि-आदि बीमारियां हो रही हैं। इसके जिम्मेदार माता-पिता खुद हैं। उन्हें अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहिए - आचार्य श्री
चन्द्रगिरि (डोंगरगढ़) में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि पहले असी, मसि, कृषि, वाणिज्य के हिसाब से कार्य होता था और विवाह में कन्यादान होता था। इस प्रथा में कन्या दी जाती थी। इसमें कन्या का आदान-प्रदान नहीं होता था। आज पाश्चात्य सभ्यता का चलन होने के कारण सब प्रथाओं में परिवर्तन आ रहे हैं, यह विचारणीय है। पहले पिता अपनी बच्ची के लिए योग्य वर ढूंढता था, पर आज बच्चे से पूछे बिना कोई काम नहीं कर सकते हैं। पहले बच्ची अपने पिता की बात को ही अपना भाग्य समझती थी, अब ऐसा देखने और सुनने को नहीं मिलता है। आचार्यश्री ने मैनासुन्दरी और श्रीपाल का उदाहरण देकर बताया कि किस तरह से उन्होंने अपने भाग्य पर भरोसा किया और अंत में उनका भला ही हुआ। आज का दिन आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष दूज छत्तीसगढ़ में बहुत शुभ दिन माना जाता है और ऐसा मानना है कि इस दिन वर्षा अवश्य होती है। आगे अष्टान्हिका पर्व आ रहा है जिसमें सिद्धचक्र विधान का विशेष महत्व माना जाता है। आप लोग अष्टान्हिका, दसलक्षण पर्व को ही विशेष महत्व देते हों, हमारे लिए तो मोक्ष मार्ग में हर दिन ही विशेष भक्ति, स्वाध्याय...