राजस्थान थांग ता संघ की कार्यकारिणी का घठन

राजस्थान थांग ता संघ की कार्यकारिणी गठित की गई इस कार्यकारी में अध्यक्ष पद हेतु श्रीमान  डॉ सुरेंद्र सिंह शेखावत सचिव कोमल कंवर  व कोषाध्यक्ष राकेश सैनी मनोनीत किए गए।  नियुक्ति पत्र भारतीय थांग ता महासंघ के सचिव विनोद शर्मा जी ने दिया । राजस्थान थांग ता संघ के अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि यह मुख्यत मणिपुर क्षेत्र का खेल है जो की प्राचीन काल से खेला जा रहा है राजाओं द्वारा अपने सिपाहियों को अनिवार्य रूप से यह कला सिखाई जाती थी समय के साथ-साथ यह बढ़ती गई और प्रत्येक व्यक्ति तक इसकी पहुंच हो गई जब अंग्रेजों ने भारत पर आक्रमण किया तो यह कला उन पर अत्यधिक हावी रही परंतु कुछ समय बाद अंग्रेजों ने थांग ता  पर बैन लगा दिया था थांग ता एक पारंपरिक मार्शल आर्ट खेल है समय के साथ-साथ इस कला को लोगों ने कला के रूप में शामिल कर लिया और अंग्रेजों की नाक के तले यह खेल खेले जाने लगा वर्तमान में यह खेल भारत में मुख्यतः स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ,मिनिस्ट्री ऑफ़ यूथ अफेयर एंड स्पोर्ट्स , वर्ल्ड  थांग ता  फेडरेशन, एशिया थांग ता  फेडरेशन , साउथ एशिया थांग ता फेडरेशन , स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया , फिट इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत,भारत थांग ता  संघ , इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ ट्रेडीशनल स्पोर्ट्स एंड गेम्स ,से मान्यता प्राप्त है वर्तमान में लगभग 40 देश इस खेल में भाग लेती है इस खेल के 29 नेशनल हो चुके हैं और प्रत्येक दिन यह खेल उन्नति की ओर अग्रसर है आने वाले समय में यह कला प्रत्येक बच्चे तक प्रत्येक व्यक्ति तक पुनः पहुंच जाएगी और इसको पहुंचने के लिए प्रत्येक राज्य प्रत्येक जिले में संगठन बनाए गए हैं जो की इस कला को आगे बढ़ने का कार्य कर रहे हैं थांग ता के लिए राज्य, राष्ट्रीय, महाद्वीपीय और अंतर्राष्ट्रीय संघ बनाए गए हैं और मानदंडों के अनुसार वार्षिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। मार्शल आर्ट विदेशों से आकर एक खेल के रूप में स्थापित हो चुका है। ऐसे में भारतीय फेडरेशन के एच.प्रेम कुमार ने थांग ता को भी एक खेल के रूप में स्थापित करने का मन बनाया। उन्होंने तलवार की जगह एक छड़ी का इस्तेमाल किया और भाले की जगह ढाल को दे दी। धीरे-धीरे मणिपुर में इसके आयोजन शुरू हुए और अब यह देश के अलग-अलग हिस्सों में खेला जा रहा है। थांग ता - मणिपुर में प्रचलित है, इसमें थांग का मतलब तलवार तथा ता का मतलब भाला होता है।इस खेल में तलवार भाले का उपयोग होता है। अंग्रेजों ने इस खेल पर बैन लगा दिया था।यह लगभग 400 साल पहले मणिपुर के राजा-महाराजों ने शुरू किया था। हालांकि, इस खेल की कहानी काफी रोचक है। तलवार और भाले के साथ खेले जाने वाले इस खेल पर अंग्रेजों ने बैन लगा दिया था। हालांकि, यह खेल अपना अस्तित्व बनाए रखने में सफल रहा और अब इसे खेलो इंडिया गेम्स में भी शामिल किया गया है। अंग्रेजों को डर था कि इस खेल में भाले और तलवार का उपयोग होता है। इस वजह से इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोग बगावत में शामिल हो सकते हैं। इस वजह से इस खेल पर बैन लगा दिया गया था। 
 संघ के सचिव कोमल शेखावत  ने बताया कि राजस्थान में अगले महीने झुंझुनू में थांग ता कैंप का आयोजन किया जाएगा । जल्द ही राजस्थान में थांग ता राज्य प्रतियोगिता  आयोजित कराई जाएगी ।

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