रियल लाइफ बेस्ड फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" 12 मई को देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज़, सक्सेज गुरु ए.के. मिश्रा है इस फ़िल्म के सूत्रधार

जयपुर। युवाओं के संघर्ष पर आधारित रियल लाइफ बेस्ड फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" 12 मई (शुक्रवार) को देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज हो गई। जयपुर में फ़िल्म का विशेष शो WTP स्थित सिनेपॉलिस में हुआ जहां फ़िल्म को ज़ोरदार पसंद किया गया । 

बता दें कि तीस साल पुराना संस्थान चाणक्य आईएएस एकेडमी इस फ़िल्म का नॉलेज पार्टनर है। चाणक्य अकैडमी के फाउन्डर व सक्सेस गुरु ए  के मिश्रा ने बताया कि -  फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" एक इमोशनल-ड्रामा फिल्म है, जो एक मोटिवेशनल कहानी पर आधारित है। मिश्रा ने बताया कि इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग दिल्ली के मुखर्जी नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय, चाणक्य आईएएस एकेडमी के दिल्ली के सभी शाखाओं में, कमलानगर, राजेंद्रनगर, कनॉटप्लेस, तिहाड़जेल और गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन जैसी जगहों पर की गई है। फिल्म के कुछ हिस्सों को नोएडा में भी फिल्माया गया है। इस फिल्म का निर्माण शाइनिंग सन स्टूडियो के विनय भारद्वाज और संजय मवार ने किया है। इस फिल्म की कहानी दिनेश गौतम ने लिखी है और निर्देशन कमल चंद्रा ने किया है। 


एक रिक्शा चालक के बेटे की सफलता की कहानी है अब दिल्ली दूर नहीं -  

दरअसल फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" एक रिक्शा चालक के बेटे की कहानी से प्रेरित है, जिसका नाम गोविंद जायसवाल है। गोविंद का चयन सिविल सेवा परीक्षा 2007 में बतौर आईएएस के रूप में हो चुका है। उस वक्त देश भर में इसकी काफी चर्चा भी हुई थी। फिल्म अभिनेता इमरान जाहिद कहते है- “ दरअसल यह फिल्म चाणक्य आईएएस एकेडमी के चेयरमेन व सक्सेस गुरू एके मिश्रा की अपने 30 वर्षों के संघर्षों की अवधारणा पर आधारित है, जो युवाओं को प्रेरित करने के साथ साथ काफी प्रभावित करेगी। 

मिश्रा के अनुसार यह  फिल्म ऐसे तमाम युवाओं की कहानी को जोड़ पाएगी, जो एक छोटे से इलाके से जाकर दिल्ली जैसे महानगर में संघर्ष करता है और अपनी मंजिल हासिल करता है। 

सक्सेस गुरू ने बताया कि यह फिल्म साबित करती  है कि हमारी नियति तय करने की क्षमता सितारों में नहीं बल्कि खुद में होती है। इसलिए इस फिल्म को लेकर यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म मेहनतकश युवाओं के संघर्ष से लेकर सफलता हासिल करने तक की कहानी है।

क्या है फिल्म की कहानी - 

यह फिल्म जिंदगी में कामयाबी और नाकामयाबी की कहानी की पड़ताल करती नजर आती है। बिहार के एक छोटे से गांव का भोला भाला लड़का अभय शुक्ला, जो अपने घरेलू आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित रहता है, आईएएस का सपना संजोए दिल्ली आ जाता है। यहां पढ़ाई कर वह आईएएस की परीक्षा में शामिल होकर कामयाब होना चाहता है और वह ऐसा अपने घर की मुफलिसी दूर करने के लिए करना चाहता है। लक्ष्य को आधार बनाकर लगन से की गई अभय की मेहनत रंग लाती है और आगे चलकर अभय आईएएस की परीक्षा टॉप कर जाता है। हालांकि अभय के इस सफलता की राह काफी मुश्किलों से भरा है। उसका सामना चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों से होता है। वह राजनीतिक से लेकर सांस्कृतिक विडंबनाओं का सामना करता है, जिसे इस फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है। वहीं दूसरी ओर फिल्म में समानांतर रूप से एक लव स्टोरी भी चलती रहती है। अभय की गर्लफ्रेंड की किरदार में अभिनेत्री श्रुति सोढ़ी ने शानदार काम किया है। फिल्म में वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और एक पंजाबी लड़की की भूमिका में है। 

तो इस तरह देखा जाए तो "अब दिल्ली दूर नहीं" एक कंप्लीट इमोशनल ड्रामा फिल्म है, जिसे दर्शकों से भरपूर प्यार मिलने की उम्मीद है।

क्या है इस फिल्म की खासियत

इस फिल्म की एक सबसे बड़ी खासियत है कि फिल्म का कॉस्टयूम तिहाड़ जेल के कैदियों ने डिजाइनर विक्की सिंह के देखरेख में तैयार की है। वहीं दूसरी ओर फिल्म इंडस्ट्री के वर्तमान दौर में जब सुपर हीरो की खूब तारीफ होती है और एक आम इंसान को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो ऐसे में इस फिल्म की कहानी बताती है कि किस तरह एक साधारण गांव का लड़का पूरे समाज को कैसे चौंका जाता है। या यूं कहें कि वह समाज की सोंच को ही बदल देता है। वह साबित करता है कि कैसे विफलता और अपमान से भरी जिंदगी में भी संघर्ष के रास्ते मंजिल के शिखर पर पहुंचा जा सकता है।

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